हर बार रस भरी
नई हड्डी की तलाश में
हिन्दुओं की
भोंकता
सूँघता घूरता
एक कुत्ता
वफादार
जनपथ की राहों पर
आज भी
गुलाम है अपनी मालिक का
लगातार सुरसुरी
हो गई है इन दिनों रुकता ही नहीं..
बस भोक्ता है
जनपथ की सूनी
राहों से आज भी
और शोर करता है
मेरे भीतर तक
रहते हुए
वो
मेरी दिल्ली में .
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